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अयोध्या से रूदौली तक करवाचौथ की धूम, भेलसर गांव में सुहागिनों ने पारंपरिक रीति से मनाया पर्व

Muhammad Alam
Muhammad Alam
Updated Oct 10, 2025
अयोध्या से रूदौली तक करवाचौथ की धूम, भेलसर गांव में सुहागिनों ने पारंपरिक रीति से मनाया पर्व

अयोध्या। करवाचौथ का पर्व अयोध्या जनपद में पूरे श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। अयोध्या नगर से लेकर रूदौली तहसील क्षेत्र तक सुहागिनों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। रूदौली नगर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में सुबह से ही महिलाओं की चहल-पहल रही। हर घर में करवाचौथ की तैयारियां जोरों पर थीं। वहीं भेलसर गांव में भी महिलाओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ यह पर्व धूमधाम से मनाया।
सुबह सूर्योदय से पहले महिलाओं ने सरगी का सेवन किया और पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना की। दिनभर बिना अन्न-जल ग्रहण किए महिलाओं ने भक्ति और आस्था में लीन रहकर व्रत का पालन किया। जैसे-जैसे शाम ढली, महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर पूजा की थाल सजाई और चांद निकलने का इंतजार करने लगीं।
जैसे ही चांद ने आसमान में दस्तक दी, महिलाएं पूजा की थाली लेकर छतों और आंगनों में पहुंचीं। चंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित करने के बाद उन्होंने चलनी से अपने पतियों का दर्शन किया और पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत संपन्न किया। इस दौरान कई जगहों पर महिलाओं ने समूह में इकट्ठा होकर करवाचौथ की कथा सुनी और एक-दूसरे को मंगलकामनाएं दीं।
भेलसर गांव में नवविवाहिताओं ने पारंपरिक परिधान में सजी-धजी पूजा की। बुजुर्ग महिलाओं ने भी पूरे उत्साह के साथ भाग लिया और नवविवाहिताओं को व्रत की परंपरा और महत्व समझाया। कई दंपत्तियों ने इस पवित्र क्षण को यादगार बनाने के लिए एक-दूसरे के साथ फोटो और सेल्फी लेकर खुशियां साझा कीं।
भेलसर निवासी नीता जायसवाल ने बताया कि करवाचौथ का व्रत हर सुहागिन के लिए सबसे पवित्र अवसर होता है। दिनभर का उपवास कठिन जरूर होता है, लेकिन पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह तपस्या हमें शक्ति देती है।
वहीं आकांक्षा जायसवाल ने कहा कि पहली बार करवाचौथ मनाने का अनुभव बहुत ही सुंदर रहा। पूरा दिन उत्साह और भावनाओं से भरा रहा। जब चांद दिखा और पति के हाथों से जल ग्रहण किया, तो लगा जैसे सारी थकान मिट गई।
करवाचौथ का यह पर्व न केवल सुहागिनों की आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रेम, विश्वास और समर्पण की भावना को भी मजबूत करता है। अयोध्या से लेकर रूदौली क्षेत्र तक यह पर्व सुहागिनों के जीवन में सौभाग्य, प्रेम और उत्सव का सुंदर संदेश लेकर आया।