रुदौली के कर्मठ एसडीएम विकासधर दुबे हटाए गए बेसकीमती जमीनों पर चल रही कार्रवाई से बौखलाए रसूखदारों ने खींची राजनीतिक डोर
अब सोहावल में न्यायिक एसडीएम बन संभाला कार्यभार
अयोध्या। ईमानदार अफसरों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। रुदौली के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) विकासधर दुबे का तबादला आखिरकार कर ही दिया गया। प्रशासन ने उन्हें सोहावल तहसील में न्यायिक एसडीएम के पद पर भेज दिया है। वहीं, संतोष कुमार को रुदौली का नया एसडीएम बनाया गया है।
हालांकि यह तबादला सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं माना जा रहा। जानकारों का कहना है कि इसके पीछे की कहानी ज़मीन से जुड़ी है वो ज़मीन जो रुदौली में कई सालों से रसूखदारों के कब्जे में थी।
बेसकीमती जमीनों पर कार्रवाई बनी तबादले की वजह
सूत्रों के मुताबिक, एसडीएम विकासधर दुबे ने रुदौली क्षेत्र में सरकारी और राजस्व विभाग की कई दर्जन बीघा जमीनों पर अवैध कब्जों की जांच शुरू कर दी थी। यह जमीनें करोड़ों रुपये की कीमत की बताई जा रही हैं, जिन पर वर्षों से प्रभावशाली लोगों ने अपने कब्जे जमा रखे थे। दुबे ने न केवल रिकार्ड खंगालने शुरू किए, बल्कि कब्जाधारकों को नोटिस भी जारी करवाए थे। कुछ जगहों पर तो मौके पर माप-जोख की कार्रवाई तक कराई गई थी। बताया जा रहा है कि आगे की कार्रवाई में कई बड़े नाम सामने आने वाले थे। इसी बीच राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ी और दबाव बनना शुरू हुआ।
राजनीतिक दबाव ने पलट दी फाइलें
विकासधर दुबे की कार्यशैली हमेशा सीधी और सख्त रही है। वे किसी भी आदेश या व्यक्ति से दबाव में आने वाले अधिकारी नहीं माने जाते। यही बात कुछ लोगों को नागवार गुज़री।कहा जा रहा है कि कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों ने विधायक रामचंद्र यादव के माध्यम से मामला ऊपर तक पहुंचाया और कुछ ही दिनों में तबादले का आदेश जारी हो गया।
जनता बोली जो सच बोलेगा, वही हटेगा!
रुदौली के आम नागरिक, व्यापारी और अधिवक्ता खुले शब्दों में कह रहे हैं कि विकासधर दुबे को उनकी ईमानदारी की सजा दी गई है। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, दुबे साहब ने कभी किसी की गलत बात नहीं मानी, गरीबों की सुनवाई की, और नेताओं की मनमानी पर रोक लगाई इसलिए उन्हें हटाया गया।रुदौली के लोगों का कहना है कि विकासधर दुबे ने क्षेत्र में प्रशासनिक सख्ती और पारदर्शिता का जो उदाहरण पेश किया, वह लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
सोहावल में हुआ जनसैलाब जैसा स्वागत
तबादले के बाद जब विकासधर दुबे ने सोहावल तहसील में न्यायिक एसडीएम के रूप में कार्यभार संभाला, तो स्वागत में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। अधिवक्ताओं, कर्मचारियों और स्थानीय नागरिकों ने फूलमालाओं से स्वागत किया और कहा रुदौली ने एक सच्चा अफसर खोया है, लेकिन सोहावल को एक ईमानदार अधिकारी मिला है। कई लोगों ने कहा कि सिस्टम भले अफसर को हटा सकता है, लेकिन जनता के दिलों से उसकी इज़्ज़त नहीं हटा सकता।
अब जनता के बीच उठ रहा बड़ा सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर प्रशासनिक तंत्र में राजनीतिक दखल के मुद्दे को उजागर कर दिया है।
लोग पूछ रहे हैं क्या अब ईमानदारी अपराध बन गई है?
क्या सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले सुरक्षित हैं और जो उन्हें हटाएगा, वो ट्रांसफर कर दिया जाएगा?
रुदौली के इस तबादले ने साफ़ कर दिया कि सिस्टम में सच बोलने और सही करने की कीमत अभी भी बहुत महंगी है।