आज शाम से सजावट देखने उमड़ेगा जनसैलाब, कल निकलेगा जुलूसे मोहम्मदी
दर्जनों अंजुमनों की तैयारी पूरी, नाते-पाक से सजेंगे चौक-चौराहे
अयोध्या। रूदौली की फिज़ाओं में इन दिनों कुछ और ही नूर समाया हुआ है। गली–गली और मोहल्ले–मोहल्ले में टिमटिमाती झालरें, रंग-बिरंगी रोशनियों की जगमगाहट, मस्जिदों पर जगमगाते कुमकुमे और हर ओर गूंजती नातों की आवाज़ें इस बात की गवाही दे रही हैं कि नबीए करीम ﷺ की आमद का जश्न यानी 12 रबीउल अव्वल करीब है। न सिर्फ़ नगर की गलियां सज चुकी हैं बल्कि दिल भी सज गए हैं। हर कोई अपने अंदाज़ में ईद–ए–मिलादुन्नबी मनाने की तैयारी कर रहा है। छोटे–छोटे बच्चे हाथों में झंडियां लिए खुशी जाहिर कर रहे हैं, बुजुर्ग मस्जिदों की सजावट में लगे हैं, और नौजवान अंजुमनों के साथ मिलकर जुलूस की तैयारियों में मशगूल हैं। गुरुवार को रूदौली का नवाब बाजार एक बार फिर इतिहास दोहराएगा। यहां हर साल की तरह इस बार भी महफ़िल–ए–मिलाद सजेगी। दर्जनों नामचीन उलेमा आमदे मुस्तफा ﷺ के पैग़ाम पर बेहतरीन तकरीर करेंगे। वहीं मशहूर शायर अपने लफ़्ज़ों से ऐसी नातें पेश करेंगे जो दिलों में मोहब्बत–ए–रसूल ﷺ को और गहरा कर देंगी। शुक्रवार को रूदौली नगर में जुलूसे मोहम्मदी ﷺ पूरे शानो–शौकत और अकीदत के साथ निकलेगा। नगर के तयशुदा परंपरागत मार्गों से गुजरने वाले इस जुलूस में हर गली–कूचा रोशनियों और फूलों से सजाया जाएगा। इस जुलूस में अंजुमन मोहम्मदी,अंजुमन फैजाने गरीब नवाज़, अंजुमन फ़जाए रसूल, अंजुमन नूरे हक़, अंजुमन शाहे मदीना, अंजुमन चिश्तियाए हक़, अंजुमन ताजदारे मदीना, इनके साथ अन्य कई अंजुमन भी हाथों में झंडे लिए, नात–मुस्तफा ﷺ पढ़ते हुए आगे बढ़ेंगी। उनकी आवाज़ें जब एक साथ उठेंगी तो रूदौली की फिज़ाएं नातों की गूंज से महक उठेंगी। कई अंजुमनों ने पहले से ही नातों की रिहर्सल शुरू कर दी है। वहीं कुछ अंजुमनों ने दूर-दराज़ से मशहूर नात–ख्वांहों को बुलाकर कार्यक्रम को और यादगार बनाने का इंतज़ाम किया है। पूरा नगर रातों में रोशनी से जगमगा रहा है और दिन में तैयारियों की चहल पहल से गूंज रहा है रूदौली का जश्ने ईदमिलादुन्नबी हमेशा से सिर्फ़ सजावट और जुलूस का नाम नहीं रहा, बल्कि यह मोहब्बत, अमन और भाईचारे का पैग़ाम देने का जरिया भी है। जब लोग गली–गली, मोहल्ले–मोहल्ले मिलकर सजावट करते हैं, जब हर अंजुमन एक साथ कदम से कदम मिलाकर जुलूस निकालती है, तो यही संदेश मिलता है कि जहां अकीदत होगी, वहीं भाईचारा भी ज़रूर होगा। रूदौली की फिज़ाओं में इस वक़्त रौशनी और नातों की गूंज बस यही कह रही है नूर से भरा यह जश्न, मोहब्बत और अमन का पैगाम है।